ये पलकों में कुछ बातें ह
तेरे बिना, तेरे बिन
अधूरी सी सारी रातें ह
तेरे बिना, तेरे बिन
और आसमान में जो तारे ह
तू वैसे मेरे दिल में सजा ह
ये तारे जो अब टूटें त
इन ख्वाहिशों में तू ही रहा ह
और मिश्री सी तेरी बातें य
यूं हौले-हौले याद आ रही ह
और मीठी सी तेरी यादें अब
यूं रातों में सुला जा रही ह
तू आज भी, हां, आज भ
कहीं न कहीं सपनों में रहा ह
और मिश्री के इन बादलों म
तू आज भी कहीं पे छिपा ह
तू नींदों में, बंद आंखों म
यूं हौले-हौले लड़ती-झगड़ती ह
ना जाने क्यों फिर आके त
मुझे ही जाना कस के पकड़ती ह
तेरा, तेरा ह
मैं हो गया हूं सोने के महलों म
तेरा, तेरा ह
मैं हो गया हूं मिट्टी के शहरों म