रिश्तों के सारे मंज़र चुप-चाप देखता ह रिश्तों के सारे मंज़र चुप-चाप देखता ह हाथों में सब के ख़ंजर हाथों में सब के ख़ंजर चुप-चाप देखता ह रिश्तों के सारे मंज़र चुप-चाप देखता ह जिसमें पाला ह मेरे बचपन का लम्हा-लम्हा, ह जिसमें पाला ह मेरे बचपन का लम्हा-लम्ह जिसमें पाला ह मेरे बचपन का लम्हा-लम्ह उजड़ा हुआ सा वो घर चुप-चाप देखता ह उजड़ा हुआ सा वो घर चुप-चाप देखता ह हाथों में सब के ख़ंजर हाथों में सब के ख़ंजर चुप-चाप देखता ह रिश्तों के सारे मंज़र चुप-चाप देखता ह धरता है कितने तोहमत मुझपे वजूद मेर धरता है कितने तोहमत मुझपे वजूद मेर धरता है कितने तोहमत मुझपे वजूद मेर जब भी मैं दिल के अंदर चुप-चाप देखता ह जब भी मैं दिल के अंदर चुप-चाप देखता ह हाथों में सब के ख़ंजर हाथों में सब के ख़ंजर चुप-चाप देखता ह रिश्तों के सारे मंज़र चुप-चाप देखता ह वो राहगुज़र कभ जो मंज़िल की इब्तिदा थ ग रे ग स, रे स रे न स नि स ध, नि ध नि प, ग प स वो राहगुज़र कभ जो मंज़िल की इब्तिदा थ वो राहगुज़र कभ जो मंज़िल की इब्तिदा थ उसको मैं अब पलट कर चुप-चाप देखता ह उसको मैं अब पलट कर चुप-चाप देखता ह हाथों में सब के ख़ंजर हाथों में सब के ख़ंजर चुप-चाप देखता ह रिश्तों के सारे मंज़र चुप-चाप देखता ह चुप-चाप देखता ह