Riha

Anuv Jain

Composed by: Anuv Jain
रेट पे पायरन से तेरे निशान मेरे दिल पर
लोगों की लहरों सी, हाय
बातों से मिटेंगे कब तक
हो जाना तू रिहा, मेर
हो जाना तू रिहा, मेर
ना होना चाहूं म
ना हो सकूं कभ

तस्वीरों में मुस्कुराहट थ
अब मेरे चेहरे पे है क्यों नहीं, ये पूछत
इन गैरों को है समझ नहीं कोई
तस्वीरों में तुम भी खड़े थ
मिश्री सी ये यादें संभली पड
तुम इन में ही मेरे ह
तू है नूर सा, नूर ही है अलग
तू ऐसे मेरा है, जान
ऐसे आजा मेर
मेरी नींदियों में तुम ऐसे ह
बंद पलकों तल
तुम हर एक पल मेरे पास ह

तू है नहीं, तू है मगर
तू है नहीं, मैं कौन ह
तू है परिंदों सा यूं उड़ चल
बिन तेरे बता मैं कौन हूँ?

नींदों में गुलिस्तां ह
तेरा- मेरा ही है ये आशियान
रातों में तारों से यूं टूट कर मेर
तू लौट आन
रह जाना तू यहाँ मेर
रह जाना तू यहाँ मेर
जब तक मिलूं नह
तारों में मैं कह
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