Gul

Anuv Jain

Composed by: Anuv Jain
ना दास्ताकेन
ये तेरे दिल की, हाँ, वही धड़कने ह
यूँ जोर से जो तुझको अब सुन रही ह
सुन ले ज़रा ये तुझसे क्या कह रही ह
आए नहीं, जिनके थे वाद
वक्त उलझा हुआ है तेरे यहाँ प
क्या वो कल थे यह
यान हफ्तों पहले की ये है दास्तान?
आए ना तेरी याद उनक
आए ना तेरी याद उनक

टूटे मकान एक बार गिर कर वैसे बनते कहाँ ह
जैसे थे तूने अपने दिल से बनाए
ओ कारीगर यूँ हाथों से थे सजाए?
आए ना तेरी याद उनक
आए ना तेरी याद उनक

किताबों के घर दुनिया है तेर
इन धूल भरे पन्नों में तू क्या ढूँढती?

और क्या हो गया जो तुझे इस दफ
ना मिली प्यारी सी परियों की वो कहानी?
और तुम यूँ परेशान हो क्यों?
है जादूगरी आज भी तेरे दिल में है बाक
और इन कागज़ों में कहीं एक गुल ह
जो ऐसे तेरा इंतज़ार कर रहा ह
ये गुल है तेरी वो हंसी, कहाँ खो गई?
ये बता, खिलेगी कभी?

आएगा एक दिन
जब उनकी रातें यूँ ना महफूज़ होंग
तेरे, तेरे बिन ऐसे, तू देख लेन
तेरी कमी तब उनको महसूस होग
मुझे, मुझे है पता य
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